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हिस्से का मेरे, जो कर्ज बाकी है, दफ़न सीने में, जो

हिस्से का मेरे, जो कर्ज बाकी है,
दफ़न सीने में, जो दर्द बाकी है,
दरिया समुंदर भी आखिर हैं मीठे, 
प्याला ज़हर का, जो हाथ साकी है...

दो कदम चलते, तो बात बनती,
ठहरी है दिल में, जो सांस चलती, 
अक्सर जुबानी ही बातें हुई हैं,
अंतिम घड़ी है, जो आस बाकी है,

©Senty Poet
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jassalamarjit5769

Senty Poet

Bronze Star
New Creator

#Women #Jindagi LO√€ #stairs #poem #SAD

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