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मैं चला जाऊँ, ऐ हमसफ़र, तो मेरी यादों को मत जकड़े

मैं चला जाऊँ, ऐ हमसफ़र, तो मेरी यादों को मत जकड़े रहना... 
उनको ख़यालों के किसी ऊफ़नते आज़ाद दरिया में बहा देना! 
जानती तो हो तुम, जब तक रहा, ऊफ़नता रहा, आज़ाद रहा, 
तो कतई जायज़ न होगा मुझे इस तरह अपनी यादों में बांध लेना।

©Shubhro K
  #Afterthought
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Shubhro K

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