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देश में देशप्रेम को जब गालियां मिले। मूर्खों गंवार

देश में देशप्रेम को जब गालियां मिले।
मूर्खों गंवार नेताओं को तालियां मिले।।
जैसे कि बैलबुद्धि का विवाह हो गया।
ससुराल में उसे चतुर सालियाँ मिले।।

लोक बचाना है या की तंत्र बचाना।
अच्छा सा ढूंढ रखा है ये तुमने बहाना।।
देखो न करोना में करो न ये रैलियां।
कुर्शी के लिए पढ़ रहे सब मन्त्र बचाना।।


बेटी को गोली मार कर वो अब भी जी रहा।
कानून अब तलक है संविधान सी रहा।
कैसी नपुंसकता है ये अपने समाज की।
चादर को ओढ़ कर है कैसा घी पी रहा।

©nirbhay chauhan #Nojoto #Desh #Poetry #Love #writers #Hindi #Muktak 

#Hopeless
देश में देशप्रेम को जब गालियां मिले।
मूर्खों गंवार नेताओं को तालियां मिले।।
जैसे कि बैलबुद्धि का विवाह हो गया।
ससुराल में उसे चतुर सालियाँ मिले।।

लोक बचाना है या की तंत्र बचाना।
अच्छा सा ढूंढ रखा है ये तुमने बहाना।।
देखो न करोना में करो न ये रैलियां।
कुर्शी के लिए पढ़ रहे सब मन्त्र बचाना।।


बेटी को गोली मार कर वो अब भी जी रहा।
कानून अब तलक है संविधान सी रहा।
कैसी नपुंसकता है ये अपने समाज की।
चादर को ओढ़ कर है कैसा घी पी रहा।

©nirbhay chauhan #Nojoto #Desh #Poetry #Love #writers #Hindi #Muktak 

#Hopeless