आजादी के दीवानों में , शेखर थे आजाद। संग चलें थे भगत सिंह भी , करते जिंदाबाद ।। गोरों से बचने की खातिर , खुद से ली थी कौल । अपने सिर में गोली मारी , अपनी ही पिस्तौल ।। पंद्रह कोड़ो की सजा मिली , किया स्वयं पर नाज । स्वतंत्रता को पिता बताया , और किया आगाज ।। गोरों को लोहा चुगवाया , बना लिया समुदाय । हर गोरे के हाथों से सब , छीन लिया व्यसाय ।। जितना आत्याचार किया था , उसका लिया हिसाब । घुटनों के बल दौड़े फिर वह , ऐसा दिया जवाब ।। नाम अमर कर गये जगत में वो थे वीर सपूत । बच्चा बच्चा बोल रहा है तुम्हीं हिंद के पूत ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR 🙏🌹सादर समीझार्थ🌹🙏 पटल आनन्द समूह अटूट रिश्ते🌷 विषय - शेखर आजाद 🇮🇳 मात्रा भार - 16 -11 आजादी के दीवानों में ,