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मुझे नहीं आया निभाना मुझे नहीं आया निभाना, वो कै

मुझे नहीं आया निभाना

मुझे नहीं आया निभाना, 
वो कैसा था ज़माना,
जब चेहरे पर नूर था। 
 
शब्द दिल में खोजते थे 
कोई कमरा चुप चाप सा  
जब चेहरे पर गुरुर था।  

मुझे नहीं आया निभाना, 
तब पीछे चलना शोक था,
जब चेहरे पर खौफ था।  

ढूंढते थे कांधे  सहारा,
जाने हो अब कब इशारा, और 
चेहरे पर हवाओ का ज़ोर था।
  
मुझे नहीं आया निभाना, 
धड़कनो को अपनी छुपाना 
हाल दिल अपना बताना 
मुझे नहीं आया निभाना - २ 

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©Tanha Shayar hu Yash
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