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मनोरंजन की तलाश में मारी मारी फिरती एक भारतीय लड़की

मनोरंजन की तलाश में मारी मारी फिरती एक भारतीय लड़की भारत में मनोरंजन की हालत:

1) टीवी इतना dumb है कि उसकी patriarchy भी दर्द पैदा नहीं कर पाती, न्यूज़ इतना फेक है कि, उसे देख सुन कर कोई एग्जाम क्लियर नहीं हो सकता। और उसपे काम करने वालों का एथिक्स देख कर तो यही लगता है कि नरेगा की मजदूरी ही कर ली जाये। (हाँ जी वो न्यूनतम पैसे भी हड़प लेते चोरकट लोग जिनको टाइम wime मैगज़ीन कवर पे छाप लेती है)

2) फिल्मों का तो बस ये है कि आप जायें और चुरायी हुई कहानी, चुराए हुए संगीत और प्लास्टिक एक्टर्स पे ढेर सारे पैसे खर्च कर सकते हैं तो आपको शर्तिया नोटबंदी पे दिक्कत नहीं हुई होगी। इक्का दुक्का अपवाद जैसी अच्छी फिल्म तो हम जैसै नमूनों के शहर वाले अपने थिएटर में लगाते नहीं, तो बस पायरेटेड से काम चलाओ।

3) सेक्स तो इस देश में जब तक दूसरे की मर्जी से ना करो, तब तक संस्कारी नहीं कहलायेगा। और आप जोशीले नौजवान जाने ही दो, जस्टिस वर्मा कुछ सुधार करा कुरु के अपने तो निबट लिए, PR का डिपार्टमेंट किसी को ना दिया। लिहाजा ज़बरदस्ती और मर्जी का कोई अल्फाबेट नहीं सीखा लोगों ने। यहाँ तक कि पनामा वाले बड़खुरदार भी लोगों को पोलियो ड्राप जैसा इम्पैक्ट दे नहीं पाये। लिहाजा मर्जी वाला सेक्स तो भाई जिहाद ही बन कर रह गया है।
मनोरंजन की तलाश में मारी मारी फिरती एक भारतीय लड़की भारत में मनोरंजन की हालत:

1) टीवी इतना dumb है कि उसकी patriarchy भी दर्द पैदा नहीं कर पाती, न्यूज़ इतना फेक है कि, उसे देख सुन कर कोई एग्जाम क्लियर नहीं हो सकता। और उसपे काम करने वालों का एथिक्स देख कर तो यही लगता है कि नरेगा की मजदूरी ही कर ली जाये। (हाँ जी वो न्यूनतम पैसे भी हड़प लेते चोरकट लोग जिनको टाइम wime मैगज़ीन कवर पे छाप लेती है)

2) फिल्मों का तो बस ये है कि आप जायें और चुरायी हुई कहानी, चुराए हुए संगीत और प्लास्टिक एक्टर्स पे ढेर सारे पैसे खर्च कर सकते हैं तो आपको शर्तिया नोटबंदी पे दिक्कत नहीं हुई होगी। इक्का दुक्का अपवाद जैसी अच्छी फिल्म तो हम जैसै नमूनों के शहर वाले अपने थिएटर में लगाते नहीं, तो बस पायरेटेड से काम चलाओ।

3) सेक्स तो इस देश में जब तक दूसरे की मर्जी से ना करो, तब तक संस्कारी नहीं कहलायेगा। और आप जोशीले नौजवान जाने ही दो, जस्टिस वर्मा कुछ सुधार करा कुरु के अपने तो निबट लिए, PR का डिपार्टमेंट किसी को ना दिया। लिहाजा ज़बरदस्ती और मर्जी का कोई अल्फाबेट नहीं सीखा लोगों ने। यहाँ तक कि पनामा वाले बड़खुरदार भी लोगों को पोलियो ड्राप जैसा इम्पैक्ट दे नहीं पाये। लिहाजा मर्जी वाला सेक्स तो भाई जिहाद ही बन कर रह गया है।
pratimatr9567

Vidhi

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