इन झरोखों में कुछ स्मृतियाँ ठहरी है जो सरिता संग घुलती भीतर आती है मन रुदन ज्यों समेटे ज्यों याँद आती है कितनी विकलता स्मृतियों के द्वार रहती ©Kavitri mantasha sultanpuri #विकलता #KavitriMantashaSultanpuri