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kavitrimantashas7570
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Kavitri mantasha sultanpuri

Poetess, Authoress, Philospher, Advocate The biggest happiness of everyday of my life is my poetical words from inside pain, poetry is not finance for me, it is a shower of my heart❤

https://www.facebook.com/mantasha.khansultanpuri

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Kavitri mantasha sultanpuri

White हमने कब चाहा था
नूपुर घन सघन बजे 
जब कोई रस ना था
जब भी तृषा ना बड़ी
बस अनंत एक समतल था
जहाँ मौन मुझे घेरे खड़ा
और प्रीत दूजा कौन था
करुणा अंबर फाड़ बरसती
शून्य में फैला यही अनंत था

©Kavitri mantasha sultanpuri #hmne_kab_chaha_tha
#KavitriMantashaSultanpuri 
#hindikavita 
#sadpoetry
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Kavitri mantasha sultanpuri

कितनी भी बार प्राजय हो किन्तु हौसलें 
कम नहीं होने चाहिए .. यही अंतिम सीढ़ी तक
 पहुँचाते है

©Kavitri mantasha sultanpuri #स्मृति_रहे 
#KavitriMantashaSultanpuri
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Kavitri mantasha sultanpuri

कुछ करने को जब चलते
निराश मन से स्वम ढर जाते
भीतर कितनी उलझने बसा लेते
उड़ने को हर पल आतुर रहते
किन्तु भरोसा पंखों पर नहीं करते
भाग्य से हर पल भिछा मांगते
किन्तु भरोसा भाग्य पर नहीं करते

©Kavitri mantasha sultanpuri #निराश
#KavitriMantashaSultanpuri
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Kavitri mantasha sultanpuri

republic day

©Kavitri mantasha sultanpuri #RepublicDay 
#KavitriMantashaSultanpuri
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Kavitri mantasha sultanpuri

कितने जुगनू उड़े मन से
संसार की माया में चमके
भीतर को भरमाए
सपनो पर धूल उड़ाए
मन तनिक बहलाए
किन्तु भविष्य धुमिल कर गए

©Kavitri mantasha sultanpuri #Mankimaya
#KavitriMantashaSultanpuri
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Kavitri mantasha sultanpuri

सपने जो रोज़ उदय होते नयन में
एक दिन यथार्थ में वो समक्ष होगें
जो कुछ लिखते कोरे कागजो में
एक दिन वो हर हिदय में अंकित होगें
बस बंधु जो ठान सो कर यथार्थ में
परिणाम सफल या असफल होगें
ये  छोड़  तू  समय  के  बहाव  में
देखना एक रोज पथ उस ओर होगें
जिस ओर हम चलेगें बहते गीतों में

©Kavitri mantasha sultanpuri #जिस_ओर_हम_होगें
#KavitriMantashaSultanpuri
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Kavitri mantasha sultanpuri

स्वम को सपनो में मत ढुढीये बलकी यथार्थ में
रहते हुए स्वम की एक पहचान बनाइये

©Kavitri mantasha sultanpuri #स्मृति_रहे
#KavitriMantashaSultanpuri
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Kavitri mantasha sultanpuri

अगर कुछ ठाना है तो चलते रहो 
क्यूँकि किस पग पर मंजिल मिल जाए 
ये किसी को नहीं ज्ञात

©Kavitri mantasha sultanpuri #स्मृति_रहे
#KavitriMantashaSultanpuri
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Kavitri mantasha sultanpuri

इन झरोखों में कुछ स्मृतियाँ ठहरी है
जो सरिता संग घुलती भीतर आती है
मन रुदन ज्यों समेटे ज्यों याँद आती है
कितनी विकलता स्मृतियों के द्वार रहती

©Kavitri mantasha sultanpuri #विकलता
#KavitriMantashaSultanpuri
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Kavitri mantasha sultanpuri

मानव जब तक कुछ भी प्राप्त नहीं कर
सकता जब तक वह अपने मन पर समपूर्णता 
नियंत्रण ना सीख ले

©Kavitri mantasha sultanpuri #स्मृति_रहे
#KavitriMantashaSultanpuri
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