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#कुण्डलिया छंद# 1- लिखा पत्र में मित्र ने, सम

#कुण्डलिया छंद# 
1-
लिखा  पत्र  में  मित्र  ने, समाचार  अपरंच।
लाइव  पाठ  करा  रहा, यहाँ रोज  हर मंच।।
यहाँ रोज हर मंच, खोजकर कवि को लाता।
जो  भी  आए  हाथ, प्रतिष्ठित  उसे बताता।।
मेरे  अब  तक  बीस, हो  चुके  इसी सत्र में।
तू भी आ जा यार,  मुझे यह  लिखा पत्र में।।
2-
मंचों में अब मच गई, लाइव  की  ही  होड़।
लाइव  लाने  के  लिए, करते  जोड़-तँगोड़।।
करते   जोड़-तँगोड़,  कुँओं  में  बम्बू  डाले।
लाइव हो कविराज, श्रेष्ठ का भ्रम भी पाले।।
मूसल हों या साँड़, आ चुके लाइव हैं  सब।
किसके कितने पाठ, होड़ यह मंचों में अब।।
#हरिओम श्रीवास्तव#
    #भोपाल, म.प्र.#

©Hariom Shrivastava #Nature
#कुण्डलिया छंद# 
1-
लिखा  पत्र  में  मित्र  ने, समाचार  अपरंच।
लाइव  पाठ  करा  रहा, यहाँ रोज  हर मंच।।
यहाँ रोज हर मंच, खोजकर कवि को लाता।
जो  भी  आए  हाथ, प्रतिष्ठित  उसे बताता।।
मेरे  अब  तक  बीस, हो  चुके  इसी सत्र में।
तू भी आ जा यार,  मुझे यह  लिखा पत्र में।।
2-
मंचों में अब मच गई, लाइव  की  ही  होड़।
लाइव  लाने  के  लिए, करते  जोड़-तँगोड़।।
करते   जोड़-तँगोड़,  कुँओं  में  बम्बू  डाले।
लाइव हो कविराज, श्रेष्ठ का भ्रम भी पाले।।
मूसल हों या साँड़, आ चुके लाइव हैं  सब।
किसके कितने पाठ, होड़ यह मंचों में अब।।
#हरिओम श्रीवास्तव#
    #भोपाल, म.प्र.#

©Hariom Shrivastava #Nature