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वो खिलते गुलाब के साथ का सवेरा , वो चांदनी रात मे

वो खिलते गुलाब के साथ का सवेरा ,
 वो चांदनी रात में छुपा अंधेरा ,
वो ढलती शामों की तनहाई ...
तेरे साथ बिताए लम्हों की कहानी कहती है ,
 हां तेरी कमी मेरे ज़हन में खलती है !

  किसी तराशे गए हीरे की चमक ,
वो बागों में फूलों की महक,
 वो सर्दियों में इठलाती धूप की किरणें ...
तेरे आंखो के नूर सी लगती है ,
हां तेरी कमी मेरे ज़हन में खलती है !

किसी छोटे पंछी की उड़ने की कोशिश ,
किसी नन्हे से बच्चे की चलने की कोशिश ,
छू देने पर घबराती तितलियों की उड़ान ...
तेरी मासूमियत की याद दिलाने लगती है ,
हां तेरी कमी मेरे ज़हन में खलती है !

जैसे मुसाफिरों के लिए पेड़ों की छाया ,
जैसे अपने बच्चे पर ममता का साया ,
जैसे प्यास बुझाने की खातिर नदियों का पानी हो...
 तेरे हर फैसले में छिपी मेरी भलाई लगती है,
हां तेरी कमी मेरी ज़हन में खलती है ! 😍😍
वो खिलते गुलाब के साथ का सवेरा ,
 वो चांदनी रात में छुपा अंधेरा ,
वो ढलती शामों की तनहाई ...
तेरे साथ बिताए लम्हों की कहानी कहती है ,
 हां तेरी कमी मेरे ज़हन में खलती है !

  किसी तराशे गए हीरे की चमक ,
वो बागों में फूलों की महक,
 वो सर्दियों में इठलाती धूप की किरणें ...
तेरे आंखो के नूर सी लगती है ,
हां तेरी कमी मेरे ज़हन में खलती है !

किसी छोटे पंछी की उड़ने की कोशिश ,
किसी नन्हे से बच्चे की चलने की कोशिश ,
छू देने पर घबराती तितलियों की उड़ान ...
तेरी मासूमियत की याद दिलाने लगती है ,
हां तेरी कमी मेरे ज़हन में खलती है !

जैसे मुसाफिरों के लिए पेड़ों की छाया ,
जैसे अपने बच्चे पर ममता का साया ,
जैसे प्यास बुझाने की खातिर नदियों का पानी हो...
 तेरे हर फैसले में छिपी मेरी भलाई लगती है,
हां तेरी कमी मेरी ज़हन में खलती है ! 😍😍
piyupriya3171

Piyu Priya**

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😍😍 #poem