वो खिलते गुलाब के साथ का सवेरा , वो चांदनी रात में छुपा अंधेरा , वो ढलती शामों की तनहाई ... तेरे साथ बिताए लम्हों की कहानी कहती है , हां तेरी कमी मेरे ज़हन में खलती है ! किसी तराशे गए हीरे की चमक , वो बागों में फूलों की महक, वो सर्दियों में इठलाती धूप की किरणें ... तेरे आंखो के नूर सी लगती है , हां तेरी कमी मेरे ज़हन में खलती है ! किसी छोटे पंछी की उड़ने की कोशिश , किसी नन्हे से बच्चे की चलने की कोशिश , छू देने पर घबराती तितलियों की उड़ान ... तेरी मासूमियत की याद दिलाने लगती है , हां तेरी कमी मेरे ज़हन में खलती है ! जैसे मुसाफिरों के लिए पेड़ों की छाया , जैसे अपने बच्चे पर ममता का साया , जैसे प्यास बुझाने की खातिर नदियों का पानी हो... तेरे हर फैसले में छिपी मेरी भलाई लगती है, हां तेरी कमी मेरी ज़हन में खलती है ! 😍😍