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मत करो कैद मुझे,खुली हवाओं में उड़ने दो । मैं एक


मत करो कैद मुझे,खुली हवाओं में उड़ने दो ।
मैं एक डाल का पंछी नहीं,डाल डाल पर बसेरा करने दो।
तराने आजादी के,मुझे भी तो गुनगुनाने दो....

पिंजरे में यदि कैद हो जाऊंगा,आजादी की महक भूल जाऊंगा।
कौन पूछेगा मेरे दिल का हाल,मैं तो जीते जी मर जाऊंगा।। 
यह खुला गगन मुझे कहां मिलेगा,बस मुझे इसे छुने दो.......

तरस रहे हैं कितने ही,परिंदे आजादी को।
पंख फड़फड़ा रहे हैं,पिंजरा तोड़ उड़ जाने को।।
कोमल हूं तन मन से,मुझे अपना ख्याल खुद रखने दो......

बेरहम होते हैं कैद करने वाले,झूठा प्यार जताते हैं।
अपनी खुशी के लिए हमें,अपने इशारों पर नचाते हैं।।
नहीं चाहिए ऐसा प्यार,यह बार-बार कहने दो.....
मत करो कैद मुझे,खुली हवाओं में उड़ने दो .....

©Yogendra Nath Yogi
  #Pankh#पंख