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बिजली कड़के, म्हारो छाती धड़के। जद ओल्यूं बलम की आ

बिजली कड़के,
म्हारो छाती धड़के।
जद ओल्यूं बलम की आवे,
आंख्या की नींद गायब हो जावे।
काऴी-काऴी रात अंधियारी,
किनै बताऊं मैं दुखियारी।
यो जोबन बित्यो जावे,
शरीर म्हारो अंगड़ाई खावे।
जद सखियां संग पाणी लेवण जाऊं,
लाज-शर्म से मरी-मरी जाऊं।
दिल न कियां समझाऊं,
मनड़े री बातां कि न बताऊं।
सावन री रिमझिम पाणी री बूंदां ,
मैं तो बड़ी दुखी होगी होकर थां सूं होकर जुदां।
"एस.पी.चौहान"

©Shishpal Chauhan #बिजली कड़के
बिजली कड़के,
म्हारो छाती धड़के।
जद ओल्यूं बलम की आवे,
आंख्या की नींद गायब हो जावे।
काऴी-काऴी रात अंधियारी,
किनै बताऊं मैं दुखियारी।
यो जोबन बित्यो जावे,
शरीर म्हारो अंगड़ाई खावे।
जद सखियां संग पाणी लेवण जाऊं,
लाज-शर्म से मरी-मरी जाऊं।
दिल न कियां समझाऊं,
मनड़े री बातां कि न बताऊं।
सावन री रिमझिम पाणी री बूंदां ,
मैं तो बड़ी दुखी होगी होकर थां सूं होकर जुदां।
"एस.पी.चौहान"

©Shishpal Chauhan #बिजली कड़के