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लगता है तुम पे हक जताने लगे हैं, माफ़ी का हक शायद

लगता है तुम पे हक जताने लगे हैं,
माफ़ी का हक शायद खोने लगे हैं।

खुशबुएँ ढूंढने आए हैं तेरे शहर मै,
उन्हीं खुशबूओं शायद डूबने लगे हैं।

शाम की रोशनी मै तुम भीगी हुई हो,
वहीँ खुदको शायद भिगोने लगे हैं।

तुमहैं गुनगुनाता जा रहा है फ़कीर,
फ़िर एक नज़्म शायद बनाने लगे हैं।

जहां भर के बहाने करके मिलते हैं,
अब ये बहाने शायद उकताने लगे हैं।

©Rashmi Ranjan Rath #Rose #nojotonazm #nojotohindi #nojatolove #लगता_है #बाहाने
लगता है तुम पे हक जताने लगे हैं,
माफ़ी का हक शायद खोने लगे हैं।

खुशबुएँ ढूंढने आए हैं तेरे शहर मै,
उन्हीं खुशबूओं शायद डूबने लगे हैं।

शाम की रोशनी मै तुम भीगी हुई हो,
वहीँ खुदको शायद भिगोने लगे हैं।

तुमहैं गुनगुनाता जा रहा है फ़कीर,
फ़िर एक नज़्म शायद बनाने लगे हैं।

जहां भर के बहाने करके मिलते हैं,
अब ये बहाने शायद उकताने लगे हैं।

©Rashmi Ranjan Rath #Rose #nojotonazm #nojotohindi #nojatolove #लगता_है #बाहाने