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White फूल का शाख़ पे आना भी बुरा लगता है तू नहीं

White फूल का शाख़ पे आना भी बुरा लगता है 
तू नहीं है तो ज़माना भी बुरा लगता है 

ऊब जाता हूँ ख़मोशी से भी कुछ देर के बाद 
देर तक शोर मचाना भी बुरा लगता है 

इतना खोया हुआ रहता हूँ ख़यालों में तेरे 
पास मेरे तेरा आना भी बुरा लगता है 

ज़ाइक़ा जिस्म का आँखों में सिमट आया है 
अब तुझे हाथ लगाना भी बुरा लगता है 

मैंने रोते हुए देखा है अली बाबा को 
बाज़ औक़ात ख़ज़ाना भी बुरा लगता है 

अब बिछड़ जा कि बहुत देर से हम साथ में हैं 
पेट भर जाए तो खाना भी बुरा लगता है 

        शकील आज़मी

©Shankar
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Shankar

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