कभी कभी मन बहुत उदास होता है बेमतलब वेवजह अंतर्मन मैं बहुत से द्वंध निरंतर टकराते है। खुद ही से सवाल उठाते रहते है शांत लहरों के तेज बहाव की तरह मन को विचलित कर जाते है।। जब जबाब खुद को ही देती हूं तो अपने ही सवाल मुझे उलझा जाते है।।। मेरे मन के इस शांत तूफान में कहीं खो सी गई मेरी सारी ख्वाइश सारी तमन्नाएं कुछ नही हूं.. क्यू हू ??..मैं किसलिए हूं? बार बार फिर से अपने ही सवाल मुझे उलझा जाते है ।।।। ©bhumika Kaushik अशांत मन हजारों सवाल Devil Abhishek gudiya Author shivam kumar mishra Ombhakat Mohan( kalam mewad ki) Jyoti Shaw Santosh Yadav