#सार_छंद# ---------------------------------------------------- 1- जहाँ देश में विकट भयावह, बीमारी है फैली। वहीं खेलते खेल हमारे, नेता रैली रैली।। उनको केवल वोट चाहिए,जो भी हो फिर होना। यह भी उनको ज्ञात यहाँ पर, आएगा कोरोना।। 2- जनता को जब पड़ी हुई है, अपने ही प्राणों की। उधर खिंची उनकी प्रत्यंचा,जुमलों के वाणों की।। कहते मेरी साफ अभी तक, उसकी चादर मैली। डिजिटल युग की आज यही है,नयी चुनावी शैली।। 3- त्राहि-त्राहि कोविड के कारण,घर-घर मातमपुर्सी। श्मशानों में ठौर नहीं पर, उन्हें चाहिए कुर्सी।। कौन किसे कैसे खो दे दे, इसी जुगत में सारे। कुर्सी पाकर पाँच साल तक, होंगे बारे न्यारे।। 4- ऊदबिलाव भेड़िए भालू, खिसयानी है बिल्ली। कुछ तो दल यों छोड़ रहे ज्यों,मरे ढोर को किल्ली।। दिल्ली से आकर वह कहते, अब तो गद्दी हिल्ली। मोहन बागानों से खेला, खेल रही है दिल्ली।। #हरिओम श्रीवास्तव# भोपाल, म.प्र. ©Hariom Shrivastava #coldnights