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हार हारा मैं खुद से हि हारा हूँ। जीने की चाह में

हार 

हारा मैं खुद से हि हारा हूँ।
जीने की चाह में खुद से हि हारा हूँ।
कोशिस हर बार मैं जीने की करता हि रहता हूँ।
बस एक मुस्कराहट पाने की तलाश मे पल पल मरता रहता हूँ 
याद आती हैं बाते जो में हँसकर तेरे साथ करता था।
उठा हैं सवाल दिल म मेरे छोड़ा क्यू मुझे एसे हाल पर।
रुक हि नही रहे ये आँशु मेरे गाल पर।
मुलाकत ना होती अब ना हमारी कोई बात होती हैं।
पहले जो हुआ करती थी रोज़ तेरे साथ राते अब ना तन्हा यह रात होती हैं।
हा पागल था मैं जो तुझे बार बार पुकारा करता था।
बर्बाद था मैं मगर तेरी हर याद को सवारा करता था।
मलाल यह नही की तू अब मेरी बाहों मे नहीं।
बात बस इतनी सी है अब मैं  खुद की सांसो मे नही।
हार गया हू अब खुद से यह लडाई।
देख ना आँखे मेरी यह फिर भर आयी।
कैद था मैं तेरी यादों में कभी।
सम्भाल रखी हैं मेने वो यादें सभी।
तस्वीर को देख कर वक़्त मेरा गुजर जाता हैं।
गुस्ताखियाँ करता यह गुस्ताख दिल फिर एक गलती कर जाता है।
-दीपक मीणा गोठवाल ('deep)

©deep हार 

हारा मैं खुद से हि हारा हूँ।
जीने की चाह में खुद से हि हारा हूँ।
कोशिस हर बार मैं जीने की करता हि रहता हूँ।
बस एक मुस्कराहट पाने की तलाश मे पल पल मरता रहता हूँ 
याद आती हैं बाते जो में हँसकर तेरे साथ करता था।
उठा हैं सवाल दिल म मेरे छोड़ा क्यू मुझे एसे हाल पर।
हार 

हारा मैं खुद से हि हारा हूँ।
जीने की चाह में खुद से हि हारा हूँ।
कोशिस हर बार मैं जीने की करता हि रहता हूँ।
बस एक मुस्कराहट पाने की तलाश मे पल पल मरता रहता हूँ 
याद आती हैं बाते जो में हँसकर तेरे साथ करता था।
उठा हैं सवाल दिल म मेरे छोड़ा क्यू मुझे एसे हाल पर।
रुक हि नही रहे ये आँशु मेरे गाल पर।
मुलाकत ना होती अब ना हमारी कोई बात होती हैं।
पहले जो हुआ करती थी रोज़ तेरे साथ राते अब ना तन्हा यह रात होती हैं।
हा पागल था मैं जो तुझे बार बार पुकारा करता था।
बर्बाद था मैं मगर तेरी हर याद को सवारा करता था।
मलाल यह नही की तू अब मेरी बाहों मे नहीं।
बात बस इतनी सी है अब मैं  खुद की सांसो मे नही।
हार गया हू अब खुद से यह लडाई।
देख ना आँखे मेरी यह फिर भर आयी।
कैद था मैं तेरी यादों में कभी।
सम्भाल रखी हैं मेने वो यादें सभी।
तस्वीर को देख कर वक़्त मेरा गुजर जाता हैं।
गुस्ताखियाँ करता यह गुस्ताख दिल फिर एक गलती कर जाता है।
-दीपक मीणा गोठवाल ('deep)

©deep हार 

हारा मैं खुद से हि हारा हूँ।
जीने की चाह में खुद से हि हारा हूँ।
कोशिस हर बार मैं जीने की करता हि रहता हूँ।
बस एक मुस्कराहट पाने की तलाश मे पल पल मरता रहता हूँ 
याद आती हैं बाते जो में हँसकर तेरे साथ करता था।
उठा हैं सवाल दिल म मेरे छोड़ा क्यू मुझे एसे हाल पर।

हार हारा मैं खुद से हि हारा हूँ। जीने की चाह में खुद से हि हारा हूँ। कोशिस हर बार मैं जीने की करता हि रहता हूँ। बस एक मुस्कराहट पाने की तलाश मे पल पल मरता रहता हूँ याद आती हैं बाते जो में हँसकर तेरे साथ करता था। उठा हैं सवाल दिल म मेरे छोड़ा क्यू मुझे एसे हाल पर। #poem #OneSeason