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जिंदगी तब भी मांगती है प्यार ज़ब वो दोजख की सीडि

जिंदगी  तब भी मांगती है प्यार  
ज़ब वो दोजख की सीडिया  चढ़ती है 
ज़ब दुख घना  होकर पसर   जाता है ह्रदय की धरती पर 
गला रुंध जाता है  और आँखे  आँसू बहाने मे सक्षम हो जाती है 
ज़ब दुख का  भार  अपने से ज्यादा  वज़नी हो जाता है 
चेहरे की चमक  दुख के काले  बादलो मे ओझल हो जाती है तब जरूरी हो जाता है  कि  खूब प्यार करे जिंदगी को 
फीकी मुस्कान से ही सही  यही प्यार का तोहफा  समझ 
अपनी झोली मे रख लेगी  जिंदगी जिंदगी  और प्यार 


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जिंदगी  तब भी मांगती है प्यार  
ज़ब वो दोजख की सीडिया  चढ़ती है 
ज़ब दुख घना  होकर पसर   जाता है ह्रदय की धरती पर 
गला रुंध जाता है  और आँखे  आँसू बहाने मे सक्षम हो जाती है 
ज़ब दुख का  भार  अपने से ज्यादा  वज़नी हो जाता है 
चेहरे की चमक  दुख के काले  बादलो मे ओझल हो जाती है तब जरूरी हो जाता है  कि  खूब प्यार करे जिंदगी को 
फीकी मुस्कान से ही सही  यही प्यार का तोहफा  समझ 
अपनी झोली मे रख लेगी  जिंदगी जिंदगी  और प्यार 


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