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शीर्षक-सच वाला सपना का बा !के चर्चे खूब हो रहे बि

शीर्षक-सच वाला सपना
का बा !के चर्चे खूब हो रहे 
बिहार चुनाव में ये संवाद 
खूब जच रहे है
जाहिर है इसमें चुनावी तड़का है
तो किसी ने कहा कि
बिहार में का नइखे!
इसकी शुरुआत,लॉक डाउन में
तब हुई थी जब गया गया था
मजदूरो के लिए,मुम्बई में का बा!
इसमे मुश्किलों के बीच भी गर्व था
स्वाभिमान की चासनी थी
लेकिन इन सबके बीच
एक कंफ्यूजन बा!
का बा और का नइखे!
खूब माथा पची की
तो पाया ,समझ मे आया
कि क्या था और क्या है!
जिसका अतीत स्वर्णिम था,
वर्तमान कितना विद्रूप है
जिस धरा ने बुद्ध दिया
दुनिया को शांति का पाठ दिया
वहाँ अब अशांति है
जिसने भारत के सम्पूर्ण
भूखंड पर  सदियों राज किया 
आज अवादी का बड़ा हिस्सा
रोटी को पलायन करती है
उदाहरणों में उलझना नही चाहता
अतीत इतिहासों में बंद पड़ा है
वर्तमान आज गाये जा रहे है
लेकिन सवाल वही है
हम सिमट क्यों गए
मेरा अतीत कहा खो गया
क्या कोई बिता हुआ लौटाएगा
सपने बेचे जा रहे है
झूठ का हर पांच साल पर
कोई सच भी कर दिखायेगा
सपने हा हकीकत वाला..!
ranjit rathour का बा! aaya sapne bechne
शीर्षक-सच वाला सपना
का बा !के चर्चे खूब हो रहे 
बिहार चुनाव में ये संवाद 
खूब जच रहे है
जाहिर है इसमें चुनावी तड़का है
तो किसी ने कहा कि
बिहार में का नइखे!
इसकी शुरुआत,लॉक डाउन में
तब हुई थी जब गया गया था
मजदूरो के लिए,मुम्बई में का बा!
इसमे मुश्किलों के बीच भी गर्व था
स्वाभिमान की चासनी थी
लेकिन इन सबके बीच
एक कंफ्यूजन बा!
का बा और का नइखे!
खूब माथा पची की
तो पाया ,समझ मे आया
कि क्या था और क्या है!
जिसका अतीत स्वर्णिम था,
वर्तमान कितना विद्रूप है
जिस धरा ने बुद्ध दिया
दुनिया को शांति का पाठ दिया
वहाँ अब अशांति है
जिसने भारत के सम्पूर्ण
भूखंड पर  सदियों राज किया 
आज अवादी का बड़ा हिस्सा
रोटी को पलायन करती है
उदाहरणों में उलझना नही चाहता
अतीत इतिहासों में बंद पड़ा है
वर्तमान आज गाये जा रहे है
लेकिन सवाल वही है
हम सिमट क्यों गए
मेरा अतीत कहा खो गया
क्या कोई बिता हुआ लौटाएगा
सपने बेचे जा रहे है
झूठ का हर पांच साल पर
कोई सच भी कर दिखायेगा
सपने हा हकीकत वाला..!
ranjit rathour का बा! aaya sapne bechne