आज सोचा कि सुबह की चाय , आज तुम्हारे साथ हो रोज़ की थकावट से आज थोड़ा आराम मिले शाम तक तुम्हारी महक मुझमें यूंही महकती रहे आज मुस्कुराहट शाम तक यूंही रहे बरकरार चलना तो है हर रोज , उसी रास्ते पर हमे रोज़ वही काम, रोज वही भागदौड़ वही पुराने रास्ते वही पुराना मोड़ लेकिन आज विचार आया आज क्यों न एक नया रास्ता लिया जाए तुम भी तो नहीं आती हो कभी यहां भूले बिसरे शायद तुम्हारे पास भी वक़्त नही । तो क्यों न आज थोड़ा रुककर एक चाय हो जाये जिंदगी की इस भागदौड़ में , आज थोड़ा सा बदलाव किया जाए ✍️रिंकी ऊर्फ चंद्रविद्या आज सोचा कि सुबह की चाय , आज तुम्हारे साथ हो रोज़ की थकावट से आज थोड़ा आराम मिले शाम तक तुम्हारी महक मुझमें यूंही महकती रहे आज मुस्कुराहट शाम तक यूंही रहे बरकरार चलना तो है हर रोज ,