रील : एक सस्ता नशा डेटा के जाल में फसता हुआ, देखो इंसान का वक्त कितना सस्ता हुआ । समय कटता है बस यहां शॉट्स और रील में, खुद को बादशाह समझते रहते किस फील में। ना कोई संगीत बची है न कोई राग बाकी है। अंदर न चिंगारी बची है न आग बाकी है। सपने भी देखते है तो देखते है दूर से । सारा वक्त फोन खा रहा, रहते मजबूर ये। ये सोशल और मीडिया मन में कैसा बसा है। सब डोपामिन का खेल है प्यारे "सस्ता नशा" है। छोड़ो ये दुनिया ये दारी की रस्में ,रात भर ऑनलाइन रहते हो खाते हो कसमें। निकालो बाहर इसे जो मन में समाया है, ये टेंपररी खेल है प्यारे, सब "मोह माया" है। ©P.Kumar #Mobile_Addiction#Dopamine