क्या साथ तेरा छूट रहा विश्वाश अब ये टूट रहा विक्षोभ ये कैसा है सत्ता में ये डूबा है एक औरत ने !औरत के धन को लुटा है बच्चो से बूढों को आग के मुंह में झोका है हर मर्यादा को तोड़ा है यंत्रणा अब ना सह सकु एक तु ही तो सहारा है क्या तुमने भी मुंह को फेरा है Shashanki ©Shashanki Kumari #Bangal Burning# विचार #BengalBurning