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बीज को सृजित जैसे करती हैं धरा धरा की गोद में जो ह

बीज को सृजित जैसे करती हैं धरा
धरा की गोद में जो होता है हरा भरा
वैसे ही नारी सृजन की अधिष्ठात्री है
मानव की सृजन कर्ता है वह निर्मात्री है 
ममता से परिपूर्ण है वह शक्ति स्वरूप हैं 
कुल की है चेतना, नारी के कई रूप है 
लिख गए ऋचाओं में वेदों के रचियता
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः।।

स्वर्णिम इतिहास है नारी शक्ति का
त्याग, बलिदान की अभिव्यक्ति का
साहस हाड़ा रानी और पन्ना धाय सा 
संकल्प पद्मावती शौर्य रानी लक्ष्मी का 
नारी में समाहित प्रेम, पराक्रम और पुनीता 
लिख गए ऋचाओं में वेदों के रचियता
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः।।

अस्तित्व नारी का  अब गौण नहीं है 
वाणी भी है मुखर अब मौन नहीं है 
सिंधु हो या गगन कोई सीमा नहीं है 
स्पष्ट है लक्ष्य कोई दुविधा नहीं है 
उन्मुक्त विचारों से स्वप्न सृजन है करना
अधिकार जन्मजेय है की सम्मान से जीना
लिख गए ऋचाओं में वेदों के रचियता
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः।।
लोकेंद्र की कलम से ✍️

©Lokendra Thakur
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