मोहब्बत तो आज भी वहि है, बस अब हकदार कोई और है। जितनी सिद्धत से चाहा था तुझे, उतणी हि सिद्धत से। पर ना तुझसे ज्यादा , और ना तुझसे कम है। मोहब्बत तो आज भी वहि है, बस अब हकदार कोई और है। बस अब थोडा फर्क है , मोहब्बत मे। तुझसे जो कि थी, वो बस मेरी थी। लेकिन आज जो है, वो हमारी है। मोहब्बत तो आज भी वहि है, बस अब हकदार कोई और है।