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पिया दर्शन की अभिलाषी मैं, दर्पण को देख मुस्काती म

पिया दर्शन की अभिलाषी मैं,
दर्पण को देख मुस्काती मैं।
तड़पन से जज़्बाती मैं,
यौवन से उपवासी मैं।।

गूँजे मर्म मे पक्षीश्वर,
ढूँढे दर्द मे अधीश्वर।
मेरे दर्प दर्शन दिखलाओ,
हो जाऊं अर्द्घ मैं नारीश्वर।।

छलके कबसे है यौवन,
चमके पूनम सा रोशन।
मिलके बने दो मन,
बन जाए हम राधा- मोहन।।

अब होगा कुछ कोहराम,
हो गई जब से मैं अंजान।
मेरे प्रियतम तपन बढ़ाए,
अब ये अगन बने शमशान।।

तू है धर्म अगर तो मैं धर्मांध,
टूटे मेरे सब्र का अब बांध।
मेरे प्रियतम अगन बुझाओ,
या भस्म करो अब ब्रह्मांड।। #प्रेम #दीवानी
पिया दर्शन की अभिलाषी मैं,
दर्पण को देख मुस्काती मैं।
तड़पन से जज़्बाती मैं,
यौवन से उपवासी मैं।।

गूँजे मर्म मे पक्षीश्वर,
ढूँढे दर्द मे अधीश्वर।
मेरे दर्प दर्शन दिखलाओ,
हो जाऊं अर्द्घ मैं नारीश्वर।।

छलके कबसे है यौवन,
चमके पूनम सा रोशन।
मिलके बने दो मन,
बन जाए हम राधा- मोहन।।

अब होगा कुछ कोहराम,
हो गई जब से मैं अंजान।
मेरे प्रियतम तपन बढ़ाए,
अब ये अगन बने शमशान।।

तू है धर्म अगर तो मैं धर्मांध,
टूटे मेरे सब्र का अब बांध।
मेरे प्रियतम अगन बुझाओ,
या भस्म करो अब ब्रह्मांड।। #प्रेम #दीवानी
abhioli5920

Abhi Oli

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