बडे़ शौक़ से आए हमदर्द मेरी बेबसी देखने, इस दिल में अंगारों पर अपनी रोटी सेंकने। कांटे चल कर आए फूलों के लिबाज़ में, गहरे मेरे ज़ख्म को और कुरेदने। छुरी भी आई जुबां पे अपनी शहद लिए, छोटे मेरे आंगन में सरहदे देखने। तन्हाई भी चली आई दिल में तन्हा शायर के, दर्द-ए-दिल में ज़ख्म इतने दिए हैं किसने। दर्द-ए-दिल में ज़ख्म इतने दिए हैं किसने। ©Ek tannha shayar #Blossom A G Birajdar Sudha Tripathi