अवरोधो की अन्धी आंधी ने आतेही मेरी आशाओं के जलते दीप बुझाये स्थूल वीणा ने सूक्ष्म संगीत के सानिध्य में वियोग के दुःखियारे गीत गाये संदेह के राज पथो पर खाई खड्डों ने भी अपने घर बसाये लालसाओ ने अपने सौम्य चेहरो पर घृणीत मुखोटे लगाए तरुण होने से पहले ही मेरे स्वप्नो ने वार्धकय पाये पापियों ने पुण्यर्थियों कों देख मुँह अपने बिचकाये ©Parasram Arora अवरोधो की अंधी आंधी