मुझे ढूँढ लो , खुद में खो रही हूँ मैं । जिस्म छोड़कर , जज्बातो में बह रही हूँ मैं कुछ ख्याल हैं खाली से , खुद को समेट रही हूँ मैं परवाह किये बिना खोले हैं पंख, फिर क्यों दौड़ रही हूँ मैं ? एकटक नजरे रस्ते पर गड़ी, .. फिर क्यों सो रही हूँ मैं ? सुनो , मुझे ढूँढ लो, खुद में खो रही हूँ मैं | ©Royal Ad #poem #royal_ad #Smile