Nojoto: Largest Storytelling Platform

मानवों की धरा से मानवता ही विलुप्त हुई जाती है, द

 मानवों की धरा से मानवता ही विलुप्त हुई जाती है,
देखकर हश्र इंसान का ,फट रही धरतीं की छाती है,

युग बदले ,मौसम बदले ,बदल गया इंसान धरा पर,
जाने कौन सी  लहर   में , ये दुनिया  बही  जाती है,

आँखों से शर्म गई ,और दिलो से मिट गया सम्मान,
देख जहां के बदले ढंग,मानवता शर्मशार हुई जाती है,

मानवता अब   थोड़ी   थोड़ी   ,हर रोज  मर रही है,
जीने का एक नया ढंग , दुनिया रोज सीख जाती है,

धन दौलत है  रिश्ते   नाते ,पैसा ही भगवान है अब,
परिवर्तन की आंधी,मानवता को रोज़ दफ़न कर आती है।।
-पूनम आत्रेय

©poonam atrey
  #मानवता 
#इंसानियत_भूलता_इंसान  @gyanendra pandey Ambika Mallik Rama Goswami sana naaz Sethi Ji  Urvashi Kapoor Puja Udeshi Niaz Kirti Pandey रविन्द्र 'गुल' ek shayar  पथिक Praveen Jain "पल्लव" Anshu writer PRIYANK SHRIVASTAVA 'अरमान' भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन  प्रज्ञा shashi kala mahto Bhavana kmishra RUPENDRA SAHU "रूप" Lalit Saxena  Ashutosh Mishra "ARSH"ارشد Sita Prasad HINDI SAHITYA SAGAR Utkrisht Kalakaari  Yogendra Nath Yogi paro Sahu अब्र (Abr) Badal Singh Kalamgar Rakesh Srivastava  R K