उड़ने को पर फैलाये मन सुंदर सपनों का जहान है, बच्चों ने भी दिया हौसले का मुझको इक आसमान है, हर पड़ाव में जीवन सबको दिखलाता है रूप अनेक, यादों की अलमारी खोलूँ तो दिखता इक घमासान है, कहीं लहर पर चली मचलती तूफ़ानों से लड़ती नौका, कहीं दफ़्न है उम्मीदों की लाशें लगता यह मसान है, लक्ष्य साधकर चलो मुसाफ़िर जीवन को निर्विघ्न बनालो, यात्रा की होगी पूर्णाहुति फिर तो बस सीधा प्रयाण है, अविनाशी और नाशवान का जगती में है मेल अनोखा, लक्ष्यभेद करलो तुम अबकी 'गुंजन' हाथों में कमान है, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #हाथों में कमान है#