वो तो छीननें मुझ से चले थे खुद की छिनवा बैठे खुदगर्गियो के समुद्र में अपना वजूद तक डुबा बैठे जो उनकी नज़र में रोटी थी मेरी नज़र में थी बोटी शुद्ध शाकाहारी हूं मैं तो मुझे तकलीफ़ भी क्या होती बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla KK क्षत्राणी