ढलती साँझ की तरह ही ढल जाएगी ये ऊम्र भी, बुझते दीय

ढलती साँझ की तरह ही ढल जाएगी ये ऊम्र भी,
बुझते दीये सी ये हसरतें,बस फड़फड़ाती रह जाएंगी!

©सुशील यादव "सांँझ"
  #ढलती_साँझ_और_उम्र
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