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#द्रौपदी मेरी इस दयनीय दशा पर कुछ तो करो विचार हरे

#द्रौपदी
मेरी इस दयनीय दशा पर कुछ तो करो विचार हरे,
नैनन में है मेरी, तिरस्कार के नीर भरे ।


लोक लाज कुल की मर्यादा, भरी सभा में है हारी ,
मुझ अबला पर दया करो, हे ! कृष्ण चक्रधारी ।


दुहशासन है खींचे जा रहा, पांचाली की साड़ी,
अधर्म से विवश हुई, द्रौपदी बेचारी ।


झुक गए है मस्तक सारे,कोई सुने ना पीड़ा तुम्हारी,
राजा तो अंधा है ही, बहरी हुई सभा सारी । ।
#द्रौपदी
मेरी इस दयनीय दशा पर कुछ तो करो विचार हरे,
नैनन में है मेरी, तिरस्कार के नीर भरे ।


लोक लाज कुल की मर्यादा, भरी सभा में है हारी ,
मुझ अबला पर दया करो, हे ! कृष्ण चक्रधारी ।


दुहशासन है खींचे जा रहा, पांचाली की साड़ी,
अधर्म से विवश हुई, द्रौपदी बेचारी ।


झुक गए है मस्तक सारे,कोई सुने ना पीड़ा तुम्हारी,
राजा तो अंधा है ही, बहरी हुई सभा सारी । ।