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Poetry with Avdhesh Kanojia
नारी के अपमान के दोषी कौन #नारी #स्त्री #women #draupadi #द्रौपदी #महाभारत #poetry नारी के अपमान के दोषी कौन? - - - - - - - - - - - - - - - - - - - पाँच महारथी पति थे जिसके उस द्रौपदि की करुण व्यथा। द्यूत सभा की हृदय विदारक बतलाता हूँ सत्य कथा।।
"Bittu"@Dil shayarana
अंतिम सांस गिन रहे #जटायु ने कहा कि "मुझे पता था कि मैं #रावण से नही जीत सकता लेकिन फिर भी मैं लड़ा ..यदि मैं नही लड़ता तो आने वाली #पीढियां मुझे कायर कहतीं" जब रावण ने जटायु के दोनों पंख काट डाले... तो मृत्यु आई और जैसे ही मृत्यु आयी... तो गिद्धराज जटायु ने मृत्यु को ललकार कहा... "खबरदार ! ऐ मृत्यु ! आगे बढ़ने की कोशिश मत करना..! मैं तुझ को स्वीकार तो करूँगा... लेकिन तू मुझे तब तक नहीं छू सकती... जब तक मैं माता #सीता जी की "सुधि" प्रभु "#श्रीराम" को नहीं सुना देता...! मौत उन्हें छू नहीं पा रही है... काँप रही है खड़ी हो कर...मौत तब तक खड़ी रही, काँपती रही... यही इच्छा मृत्यु का वरदान जटायु को मिला । किन्तु #महाभारत के #भीष्म_पितामह छह महीने तक बाणों की #शय्या पर लेट करके मृत्यु की प्रतीक्षा करते रहे... आँखों में आँसू हैं ...वे पश्चाताप से रो रहे हैं... भगवान मन ही मन मुस्कुरा रहे हैं...! कितना अलौकिक है यह दृश्य... #रामायण मे जटायु भगवान की गोद रूपी शय्या पर लेटे हैं... प्रभु "श्रीराम" रो रहे हैं और जटायु हँस रहे हैं... वहाँ महाभारत में भीष्म पितामह रो रहे हैं और भगवान "#श्रीकृष्ण" हँस रहे हैं... भिन्नता प्रतीत हो रही है कि नहीं... ? अंत समय में जटायु को प्रभु "श्रीराम" की #गोद की शय्या मिली... लेकिन भीष्म पितामह को मरते समय #बाण की शय्या मिली....! जटायु अपने #कर्म के बल पर अंत समय में भगवान की #गोद रूपी शय्या में प्राण त्याग रहे हैं.. प्रभु "श्रीराम" की #शरण में..... और बाणों पर लेटे लेटे भीष्म पितामह रो रहे हैं.... ऐसा अंतर क्यों?... ऐसा अंतर इसलिए है कि भरे दरबार में भीष्म *पितामह* ने #द्रौपदी चीरहरन देखा था... विरोध नहीं कर पाये और मौन रह गए थे ...! दुःशासन को ललकार देते... दुर्योधन को ललकार देते... तो उनका साहस न होता, लेकिन द्रौपदी रोती रही... #बिलखती रही... #चीखती रही... #चिल्लाती रही... लेकिन भीष्म पितामह सिर झुकाये बैठे रहे... #नारी की #रक्षा नहीं कर पाये...! उसका परिणाम यह निकला कि इच्छा मृत्यु का वरदान पाने पर भी बाणों की शय्या मिली और .... जटायु ने नारी का सम्मान किया... अपने प्राणों की आहुति दे दी... तो मरते समय भगवान "श्रीराम" की गोद की शय्या मिली...! जो दूसरों के साथ गलत होते देखकर भी आंखें मूंद लेते हैं ... उनकी गति #भीष्म जैसी होती है ... जो अपना परिणाम जानते हुए भी...औरों के लिए #संघर्ष करते है, उसका माहात्म्य #जटायु जैसा #कीर्तिवान होता है । अतः सदैव #गलत का #विरोध जरूर करना चाहिए । "#सत्य" #परेशान जरूर होता है, पर #पराजित नहीं ।। ©"Bittu"@Dil shayarana #विचार #NojotoRamleela
3 Little Hearts
Am I next? रोज़ एक द्रौपदी की लुटती है आबरू, आज भी कहीं न कहीं वो दुशासन ज़िंदा है। ©Vishnuuu X #CTL #द्रौपदी #आबरू #दुशासन #unsafe #unsafe_girls #unsafeindia #girls
Jiyalal Meena ( Official )
Shweta Srivastava Gargi
vvs
Ravi sharma
#द्रौपदी नेत्र जिसके कमल, भौहे चंद्रमा सम वक्र थी... द्रुपद सुता वो द्रौपदी मानो सुदर्शन चक्र थी... जो भेद पाए मत्स्य चक्षु, वही प्रतिभावान है... अग्निसुता के योग्य वो ही वीर सामर्थ्यवान है... शर्त जो की पूर्ण ना हो, कर्ण या अर्जुन बिना... पर द्रोपदी ने कर्ण से था ये अधिकार भी छीना... सब सभागण दंग थे यह दृश्य अद्भुत था बड़ा... जब हाथ में शिव धनुष ले अर्जुन सभा में था खड़ा... जब मत्स्य चक्षु भेद डाला एक ही बस बाण में... तब ही जाकर प्राण आए द्रौपदी के प्राण में... अग्निसुता फिर पांच पतियों में विभाजित की गयी... वरदान था, फिर भी सभा में वो कलंकित की गयी... धर्म के गुणगान करते वीर सब कुछ सह गए... भीष्म के भी नयन अश्रु स्त्रोत बन कर रह गए... पंच पतियों संग सभा सहती रही जब पीर को... तब कृष्ण ने था बचाया, द्रुपद सुता के चीर को... अधर्म के उस दौर में धर्मयुद्ध की घड़ी आ गयी... गुरु द्रोण से लेकर पितामह सब को मृत्यु खा गयी... द्रौपदी ने केश धोए, दुशासन के बहते रक्त से... हो गया विजयी धर्म तब उस महासमर के अंत से... -Ravi sharma #महाभारत #द्रौपदी
Nsp_Namrita_singh
#द्रौपदी मेरी इस दयनीय दशा पर कुछ तो करो विचार हरे, नैनन में है मेरी, तिरस्कार के नीर भरे । लोक लाज कुल की मर्यादा, भरी सभा में है हारी , मुझ अबला पर दया करो, हे ! कृष्ण चक्रधारी । दुहशासन है खींचे जा रहा, पांचाली की साड़ी, अधर्म से विवश हुई, द्रौपदी बेचारी । झुक गए है मस्तक सारे,कोई सुने ना पीड़ा तुम्हारी, राजा तो अंधा है ही, बहरी हुई सभा सारी । ।
writer.varsha
"द्रौपदी" आग से जन्मी वो इसलिए याज्ञसेनी कहलाई। रूप से मोहिनी वो इसलिए कृष्णा कहलाई। पांचाल की राजकुमारी वो इसलिए पांचाली कहलाई।
pallavi joshi
तो उठ तू लड़ तू गरज तू खुद को संभाल तू खुद को बचा तू नहीं है द्रौपदी की आएगा कोई कृष्ण बचाने तेरी लाज यहां तू दुष्सानो से ना कभी घबराना छुएगे तेरे आंचल चाहेंगे जार जार करना करना मुकाबला डटकर आंचल मैंली मत होने देना जो छुए तेरी आंचल तो तोड़ हाथ श्मशान में फेंक ना तू ना तो कभी थरथराना ना तो कभी कपकपना तू उठ तू लड़... हर पल रखेंगे तेरे कपड़ों पर नजर यहां जो सरका तेरा दुपट्टा तो नापेगे तेरा सीना यहां भूल जाएंगे यही है उनकी बहन बेटियों के पास भी फिर तेरी तरफ हवस की नजर बढ़ाएंगे बन विंध्यवासिनी तू उनकी हवस को विनाश करना ना कभी अपना दुपट्टा सवारना ना तू कभी खुद को गलत समझना तू उठ तू लड़.. जब कोई दुशासन तुम्हें रास्तों पर छोड़ जाएंगे यहां कोई नहीं तुझे बचाने को आएगा यहां सब तमाशा देख तेरे से दूर हट जाएंगे तू नहीं होगी उस वक्त उनकी बहन बेटी सब यही सोच गुजर जाएंगे जब तक न बीते अपने घरों में तब कहां आती है समझ में लेकिन दोहराया न जाए उनके बेटियों के साथ ऐसी तू मिशाल बनना हाथ में लौ ले उन पापियों का नाश करना ना तू झुकना कभी ना थकना कभी तू उठ तू लड़.. जो तुम्हारे साथ होगा ऊंच-नीच यहां सब तुम्हारे कपड़ों से लेकर तेरे चरित्र को आकेगे यहां तुम्हारे बात रास्तों पर चला तुम्हें तुम्हारी ही नजरों में गिराएंगे यहां और तुम ऐसे ही लड़की थी जो हुआ अच्छा हुआ कह तुम्हें ही गलत बताएंगे यहां लेकिन अपने हौसले बुलंद रखना तू खुद को शांत रखना ना कोई सफाई देना ना कभी खुद को नजर से देखना जो कोई मांगे तुमसे अग्नि परीक्षा उसके मुंह पर एक जोरदार तमाचा जड़ना तू ना कभी टूटना तू ना कभी खुद को समेटना तू तो उठ तू लड़ तू गरज तो खुद को संभाल तो खुद को बचा तू नहीं है द्रौपदी की आएगा कोई कृष्ण बचाने तेरी लाज यहां my poetry for girls