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Poetry with Avdhesh Kanojia
नारी के अपमान के दोषी कौन #नारी #स्त्री #women #draupadi #द्रौपदी #महाभारत #poetry नारी के अपमान के दोषी कौन? - - - - - - - - - - - - - - - - - - - पाँच महारथी पति थे जिसके उस द्रौपदि की करुण व्यथा। द्यूत सभा की हृदय विदारक बतलाता हूँ सत्य कथा।।
Jiyalal Meena ( Official )
#द्रौपदी #इतिहास #महाभारत #पांडव 'महाभारत' में द्रौपदी का चीर हरण एक दु:खद घटना मानी जाती है. ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि पांडव अपनी पत्नी द्रौपदी को द्युतक्रीड़ा में कौरवों से हार गए थे. ... इसके बाद कौरवों में दुर्योधन का छोटा भाई दुशासन द्रौपदी को उनके बाल पकड़ कर भरी सभा में भी लाया और फिर कौरवों ने भरी सभा में द्रौपदी का चीर हरण किया था #Trending Geeta Modi Shiwani Aafiya Jamal ekrajhu Dk D Dolly shamshad King of Darkness Storyteller VOICE OF Anshika rasmi Anya Maurya Udass Afzal khan
read moreShweta Srivastava Gargi
#द्रौपदी #me #my #nojotohindi Manish Kumar Irfan Saeed Writer Pari Priyanka Praveen Storyteller #myvoice
read moreKishor Rokade
उठ द्रौपदी तुझे वस्त्र संभाळ आता कान्हा नाही येणार गं..! कुठवर आस तु धरशील या विकलेल्या वर्तमान पत्राशी गं.! रक्षण कोणते मागत आहेस.. भरलेत दु:शासन दरबारात गं..! स्वतः जे निर्लल्ज पडलेत ते अब्रु तुझी कशी वाचवतील गं..! उठ द्रौपदी तुझे वस्त्र संभाळ आता कान्हा नाही येणार गं..।।१।। काल पर्यंतचा आंधळा राजा आता मुका आणि बहिरा गं..! ओठ शिवलेत लोकांचे आहे कानावर पहारा गं..! तुच सांग ही अश्रु तुझी कोणाला काय समजवणार गं..! उठ द्रौपदी तुझे वस्त्र संभाळ आता कान्हा नाही येणार गं..।।२।। सोड मेहंदी आता बाहु संभाळ स्वतःचीच लज्जा वाचव गं..! डाव टाकुनी बसलेत शकुणी मस्तक सारे विकतील गं..! उठ द्रौपदी तुझे वस्त्र संभाळ आता कान्हा नाही येणार गं..।।३।। *अटलबिहारी वाजपेयी *मराठी अनुवाद श्री:किशोर ज्ञा.रोकडे.
Shiwalika_SSS
#OpenPoetry “ रक्षाबंधन” स्नेह ,प्रेम,सौहार्द का तर्पण,अखंडित विश्वास का दर्पण, कच्चे धागों का पक्का संगम,ऐसा मनभावन ये रक्षाबंधन।। कृष्ण- द्रौपदी के पवित्र बंधन के किस्से अपार सुने हैं, नारायण और गिरिजा भी तो इसी बंधन में बंधे हैं, जब संकट पड़ा द्रौपदी पर और कोई न रक्षा को आया, तब मीलों दूर से केशव ने ही भ्राता का फर्ज निभाया। नहीं कोई पराकाष्ठा जिसकी,जीवन भर का ऐसा है वचन, ऐसा मनभावन ये रक्षाबंधन..।। ये बंधन ही है जिसने इतिहास में दो धर्मों को जोड़ा था, बुलावे पर कर्णावती के, हुमायूँ रण से दौड़ा था, जब पोरस को रोक्साना ने,भ्राता कह धागा बाँध दिया, तब सिकंदर को परास्त कर भी,पुरुश्रेष्ठ ने जीवनदान दिया। भीषण शत्रुता के मध्य भी जो, प्रेम जगा दे अनुपम, ऐसा मनभावन ये रक्षाबन्धन..।। read full in the caption.... है कथा अनोखी करुणामयी माँ संतोषी के प्रकटोत्सव की, ये बात है श्री गणेश और माँ मनसा के राखी उत्सव की, देख भाई-बहन का प्रेम ,शुभ-लाभ का मन भी ललचाया, तब कृपा हुई श्री गणेश की और संतोषी को भगिनी पाया। खिला जगत संसार मे तब, संतोष क्षमा का उपवन, ऐसा मनभावन ये रक्षाबंधन..।।
है कथा अनोखी करुणामयी माँ संतोषी के प्रकटोत्सव की, ये बात है श्री गणेश और माँ मनसा के राखी उत्सव की, देख भाई-बहन का प्रेम ,शुभ-लाभ का मन भी ललचाया, तब कृपा हुई श्री गणेश की और संतोषी को भगिनी पाया। खिला जगत संसार मे तब, संतोष क्षमा का उपवन, ऐसा मनभावन ये रक्षाबंधन..।।
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