आखिर क्यों? आखिर क्यों? बढ़ती शिक्षा, बेहतर होते जीवन स्तर के साथ, बेतहाशा बढ़ रहे हैं, दुराचार, मारकाट व भ्रष्टाचार ! मिल रहा है, पाखंड को सम्मान! हो रहा है, सत्य का अपमान! क्या हो गया है, आदमी को, बहकाना इतनी आसान? पढ़ाया जा रहा है, गलियों में नफरत का पाठ! कैसे कोई देगा, इंसानियत का साथ! डूबते का वीडियो, बनाती है भीड़, मदद के नाम पर, खड़ा करतें हैं हाथ! हर तरफ आबाद है, दलदल जानलेवा, धार्मिक उन्माद व जातिवाद के! खून तो बहता है, सिर्फ इंसान का, जब छुरे चलतें हैं, बेरहम जल्लाद के! ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #आखिर _क्यों?