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यूँ हवा में उड़ाई है हमने कई मोहलतें सजाए अफ्ता बस

यूँ हवा में उड़ाई है हमने कई मोहलतें
सजाए अफ्ता बस यूं ही  तो नहीं  हैं।

समंदर को भी पता है कि प्यास क्या है
हर बूंद की कीमत बस यूं ही तो नहीं है।

कोई साहिल ये सोच के बैठा है वो सब है
दरिया को ये पता है कि बहना तो हई है।

लिहाज का मतलब वजूद मिटा देना नहीं है
ये समझ की वो सब है कोई कतरा तो नहीं है।

#माधवेन्द्र_फैजाबादी #कुछ_अनकही_बातें #रातें #आवारगी
यूँ हवा में उड़ाई है हमने कई मोहलतें
सजाए अफ्ता बस यूं ही  तो नहीं  हैं।

समंदर को भी पता है कि प्यास क्या है
हर बूंद की कीमत बस यूं ही तो नहीं है।

कोई साहिल ये सोच के बैठा है वो सब है
दरिया को ये पता है कि बहना तो हई है।

लिहाज का मतलब वजूद मिटा देना नहीं है
ये समझ की वो सब है कोई कतरा तो नहीं है।

#माधवेन्द्र_फैजाबादी #कुछ_अनकही_बातें #रातें #आवारगी