बहुत कुछ समेटे बैठें रहता हैं अक्सर ये दिल , बस इस फिराक में कभी तो कहीं कोई समझेगा इसकी भी भाषा कोई दिल ,मिलेगा सुकूँ एक ना एक दिन ... कहीं तो होगा वो एक दिल... बहुत कुछ समेटे बैठें रहता हैं अक्सर ये दिल , बस इस फिराक में कभी तो कहीं कोई