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कुछ-कुछ कहते रहते हैं। लम्हें जो बहते रहते हैं।। म

कुछ-कुछ कहते रहते हैं।
लम्हें जो बहते रहते हैं।।
मंज़र फिर भी कोरा है।
वक्त तो पढ़ते रहते हैं।।

©shashi kala mahto
  #वक्त तो पढ़ते रहते हैं

#वक्त तो पढ़ते रहते हैं #शायरी

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