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बंधे अब तक नहीं थे जो, बंधे वो सारे बंधन हैं, मिले

बंधे अब तक नहीं थे जो, बंधे वो सारे बंधन हैं,
मिले अब तक नहीं थे जो, मिले वो सब आलिंगन हैं,
तुम्हारे प्यार में जीऊँ, भले मर जाऊँ पल भर में
मगर होठों पे मेरे सुन, सनम तेरे ही चुंबन हो।
        रचना - मौलिक
         -शैलेन्द्र राजपूत
    (#हिंदी_साहित्य_सागर)
           13.02.2023

©HINDI SAHITYA SAGAR
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