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पेज-27 कृपया कैप्शन में पढ़ें ©R. Kumar #रत्नाकर

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कृपया कैप्शन में पढ़ें

©R. Kumar #रत्नाकर कालोनी 
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उत्तर पता नहीं... कुछ हो गया होगा तभी तो सब दौड़ रहे हैं.. तुम भी दौड़ो... वहाँ से आयशा ने देखा.. वह भी डर बोली -मम्मी...और बांसुरी छोड़कर उनके पीछे दौड़ी... 
मानक कुर्सी पर बैठा कुछ सोच रहा था... इस भाग दौड़ ने शायद उसके ख़्वाब तोड़ दिये... मगर फिर भी वह बिना कुछ सोचे दौड़ पड़ा... उसके पीछे हिमांशु शर्मा भी दौड़ पड़ा... मित्र देवेश बिना चश्मे के ही दौड़ पड़े.. अमित ने देखा तो फौरन पिस्टल रखकर दौड़ पड़ा.. मन में सोचता जा रहा है.. आज किसकी शामत आई है... किसी ने कुछ किया तो छोडूंगा नहीं..... जे पी लोधी साहब हाथ में सेविंग ब्रश लिये ही दौड़ पड़े.. मित्र जॉन सेविंग कर रहे थे.. सबको भागते देख वो भी दौड़ गये ये भी नहीं पता कि वो लुंगी बनियान में ही दौड़ पड़े..!
आखिर माज़रा क्या था कहीं कुछ अनहोनी तो नहीं हो गई ये सोच जो जिस हालत में था वैसे ही उस ओर दौड़ पड़ा..A.K. शर्मा हाथ मे कॉफी कप लिये चुस्कियां लेते हुये हैरान परेशान से देख रहे हैं सब भाग रहे हैं... शायद कुछ हो गया.. वो भी दौड़ पड़े.. उन्हें देख अमित जी भी पलंग छोड़ भागे.. ! अफरा तफरी... कोई कुछ समझ ही नहीं पा रहा .. बेचारी शिल्पा यादव जी कल ही ज्वाइन किया कालोनी को और आज ये भागम-भाग देख वो भी दौड़ पड़ी....एक से दो दो से चार चार से चालीसा हुआ जा रहा है मगर कोई रुकने का नाम नहीं ले रहा.... दौड़ते दौड़ते सुमित जी बिजली से आगे हो गये...ये देख बिजली की आँख नाक फूल गई... दौड़ते दौड़ते सुमित जी को क्रॉस किया... और बुदबुदाते हुये बोलीं.. -हमसे पंगा ने लइयो.. छोरा.. हम गांव के चैम्पियन रहे हैं..!
सुमित जी ने कहा - हम भी ओलम्पिक जीत लाये हैं... गांव की छोरी तुमसे अब्बल आये हैं....!
दोनों में जबरदस्त तक़रार होते कथाकार लिख नहीं पा रहा है ....! दोनों क्यूँ झगड़ रहे हैं क्या संयोग बनता दिख रहा है.... सुमित जी ने पल्ला झाड़ना ही बेहतर समझा और बिजली से आगे निकलने की कोशिश कर रहे हैं मगर बिजली..! बिजली कहां पीछे रहे...!बस यही चल रहा है... गज़ब की दौड़.. ! दौड़ पर दौड़... इधर दौड़ते दौड़ते रास्ते में दिव्या की सेंडिल टूट गई,.. उसे फेंक कर दिव्या दौड़ी मगर हाथ नहीं छोड़ा... और भाग दौड़ भाग दौड़ करके अंततः चारों दिव्य शक्तियां मंदिर के ठीक सामने पहुंच गये...तब तक जे.एल. जी अपनी पुत्री और पत्नी के साथ मंदिर की सीढियाँ उतर रहे थे... सहसा तीनों इतनी भीड़ देखकर घबरा गये...
पुष्पा-थैंक गॉड.. समय पर पहुंच गये हम चारों... वरना निकल जाते तो... !
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उत्तर पता नहीं... कुछ हो गया होगा तभी तो सब दौड़ रहे हैं.. तुम भी दौड़ो... वहाँ से आयशा ने देखा.. वह भी डर बोली -मम्मी...और बांसुरी छोड़कर उनके पीछे दौड़ी... 
मानक कुर्सी पर बैठा कुछ सोच रहा था... इस भाग दौड़ ने शायद उसके ख़्वाब तोड़ दिये... मगर फिर भी वह बिना कुछ सोचे दौड़ पड़ा... उसके पीछे हिमांशु शर्मा भी दौड़ पड़ा... मित्र देवेश बिना चश्मे के ही दौड़ पड़े.. अमित ने देखा तो फौरन पिस्टल रखकर दौड़ पड़ा.. मन में सोचता जा रहा है.. आज किसकी शामत आई है... किसी ने कुछ किया तो छोडूंगा नहीं..... जे पी लोधी साहब हाथ में सेविंग ब्रश लिये ही दौड़ पड़े.. मित्र जॉन सेविंग कर रहे थे.. सबको भागते देख वो भी दौड़ गये ये भी नहीं पता कि वो लुंगी बनियान में ही दौड़ पड़े..!
आखिर माज़रा क्या था कहीं कुछ अनहोनी तो नहीं हो गई ये सोच जो जिस हालत में था वैसे ही उस ओर दौड़ पड़ा..A.K. शर्मा हाथ मे कॉफी कप लिये चुस्कियां लेते हुये हैरान परेशान से देख रहे हैं सब भाग रहे हैं... शायद कुछ हो गया.. वो भी दौड़ पड़े.. उन्हें देख अमित जी भी पलंग छोड़ भागे.. ! अफरा तफरी... कोई कुछ समझ ही नहीं पा रहा .. बेचारी शिल्पा यादव जी कल ही ज्वाइन किया कालोनी को और आज ये भागम-भाग देख वो भी दौड़ पड़ी....एक से दो दो से चार चार से चालीसा हुआ जा रहा है मगर कोई रुकने का नाम नहीं ले रहा.... दौड़ते दौड़ते सुमित जी बिजली से आगे हो गये...ये देख बिजली की आँख नाक फूल गई... दौड़ते दौड़ते सुमित जी को क्रॉस किया... और बुदबुदाते हुये बोलीं.. -हमसे पंगा ने लइयो.. छोरा.. हम गांव के चैम्पियन रहे हैं..!
सुमित जी ने कहा - हम भी ओलम्पिक जीत लाये हैं... गांव की छोरी तुमसे अब्बल आये हैं....!
दोनों में जबरदस्त तक़रार होते कथाकार लिख नहीं पा रहा है ....! दोनों क्यूँ झगड़ रहे हैं क्या संयोग बनता दिख रहा है.... सुमित जी ने पल्ला झाड़ना ही बेहतर समझा और बिजली से आगे निकलने की कोशिश कर रहे हैं मगर बिजली..! बिजली कहां पीछे रहे...!बस यही चल रहा है... गज़ब की दौड़.. ! दौड़ पर दौड़... इधर दौड़ते दौड़ते रास्ते में दिव्या की सेंडिल टूट गई,.. उसे फेंक कर दिव्या दौड़ी मगर हाथ नहीं छोड़ा... और भाग दौड़ भाग दौड़ करके अंततः चारों दिव्य शक्तियां मंदिर के ठीक सामने पहुंच गये...तब तक जे.एल. जी अपनी पुत्री और पत्नी के साथ मंदिर की सीढियाँ उतर रहे थे... सहसा तीनों इतनी भीड़ देखकर घबरा गये...
पुष्पा-थैंक गॉड.. समय पर पहुंच गये हम चारों... वरना निकल जाते तो... !