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सिमट जाते हो तुम अपने आप में जैसे घड़े में पानी सि

 सिमट जाते हो तुम अपने आप में
जैसे घड़े में पानी सिमटता है
मैं बिखर जाती हूँ इस तरह
 जैसे अंबर से पानी बरसता है
आओ! 
एक साथ नदी की तरह बहते हैं
एक दूजे के साथ ,एक दूजे में रहते हैं।
।।श्रीहरि कृपा।।

©Monika  Sharma
  #loversday हमारा साथ

#loversday हमारा साथ #कविता

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