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कुछ बेहरम ज़ख्म, फिर आज गहरी हुई फ़िर मन असांत ह

कुछ बेहरम ज़ख्म,
फिर आज गहरी हुई
  फ़िर मन असांत हुआ, 
दिल-दिमाग़ की कचहरी हुई
जैसे सुबह तो फिर हुई,
पर फिर से दोपहरी हुई

फ़िर से इच्छा हुई,
रोक लूं सबकुछ
मगर हालात देख,
फिर रफ़्तार धीमी हुई

अनकही शाम फिर आई,
रात फिर सुनहरी हुई
फिर से बिखरा मन,
 फ़िर धड़कन में बेचैनी हुई

अश्क भरे पड़े देर रात,
मगर फिर आस सलोनी हुई
फ़िर उस खुदा को याद किया,
हिम्मत डेढ़ इंच और बड़ी हुई

Rashmi Shankar
 #RaysOfHope himmat dedh inch or badi hui.
कुछ बेहरम ज़ख्म,
फिर आज गहरी हुई
  फ़िर मन असांत हुआ, 
दिल-दिमाग़ की कचहरी हुई
जैसे सुबह तो फिर हुई,
पर फिर से दोपहरी हुई

फ़िर से इच्छा हुई,
रोक लूं सबकुछ
मगर हालात देख,
फिर रफ़्तार धीमी हुई

अनकही शाम फिर आई,
रात फिर सुनहरी हुई
फिर से बिखरा मन,
 फ़िर धड़कन में बेचैनी हुई

अश्क भरे पड़े देर रात,
मगर फिर आस सलोनी हुई
फ़िर उस खुदा को याद किया,
हिम्मत डेढ़ इंच और बड़ी हुई

Rashmi Shankar
 #RaysOfHope himmat dedh inch or badi hui.