पहुंचे थे लक्ष्मी -नारायण समझकर, हैरत थी विचित्र नारायण समझकर, रस्ते में हूं वापसी अपनी है फिर, लौटा हूं दरिद्र नारायण समझकर। तुमसे क्या उम्मीद बंधी थी, मतलब क्या, मंजिल न सधी थी। ©BANDHETIYA OFFICIAL #लक्ष्मी से भेंट न, दरिद्दर से झगड़ा! #udaasi