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पहुंचे थे लक्ष्मी -नारायण समझकर, हैरत थी विचित्र न

पहुंचे थे लक्ष्मी -नारायण समझकर,
हैरत थी विचित्र नारायण समझकर,
रस्ते में हूं वापसी अपनी है फिर,
लौटा हूं दरिद्र नारायण समझकर।
तुमसे क्या उम्मीद बंधी थी,
मतलब क्या, मंजिल न सधी थी।

©BANDHETIYA OFFICIAL #लक्ष्मी से भेंट न, दरिद्दर से झगड़ा!

#udaasi
पहुंचे थे लक्ष्मी -नारायण समझकर,
हैरत थी विचित्र नारायण समझकर,
रस्ते में हूं वापसी अपनी है फिर,
लौटा हूं दरिद्र नारायण समझकर।
तुमसे क्या उम्मीद बंधी थी,
मतलब क्या, मंजिल न सधी थी।

©BANDHETIYA OFFICIAL #लक्ष्मी से भेंट न, दरिद्दर से झगड़ा!

#udaasi

#लक्ष्मी से भेंट न, दरिद्दर से झगड़ा! #udaasi #जानकारी