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जाने कैसे मिलेंगी निगाहों से निगाहें,

जाने कैसे मिलेंगी निगाहों से निगाहें,
                   निगाहें जो उनकी ओर बहुत हैं..
निगाहों की ज़ुबां वो सुनेंगे भी कैसे,
                  उनके आने पर महफ़िल में शोर बहुत है।
 ज़रा सी ऊँची आवाज़ में बात करना तक हमें पसंद नहीं मगर जब बात आती है शोर फैलाने की तो हम सब से आगे रहते हैं। किसी भी प्रकार का प्रदूषण विरोधी आंदोलन भी एक प्रकार का झूठ ही साबित होता है आज के दिन। ऐसे में शुरुआत कहाँ से हो, कैसे हो।

लिखें अपने विचार।

#शोर
#पटाख़े
#ध्वनिप्रदूषण 
#collab
जाने कैसे मिलेंगी निगाहों से निगाहें,
                   निगाहें जो उनकी ओर बहुत हैं..
निगाहों की ज़ुबां वो सुनेंगे भी कैसे,
                  उनके आने पर महफ़िल में शोर बहुत है।
 ज़रा सी ऊँची आवाज़ में बात करना तक हमें पसंद नहीं मगर जब बात आती है शोर फैलाने की तो हम सब से आगे रहते हैं। किसी भी प्रकार का प्रदूषण विरोधी आंदोलन भी एक प्रकार का झूठ ही साबित होता है आज के दिन। ऐसे में शुरुआत कहाँ से हो, कैसे हो।

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ज़रा सी ऊँची आवाज़ में बात करना तक हमें पसंद नहीं मगर जब बात आती है शोर फैलाने की तो हम सब से आगे रहते हैं। किसी भी प्रकार का प्रदूषण विरोधी आंदोलन भी एक प्रकार का झूठ ही साबित होता है आज के दिन। ऐसे में शुरुआत कहाँ से हो, कैसे हो। लिखें अपने विचार। #शोर #पटाख़े #ध्वनिप्रदूषण #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine