अधूरी मोहब्बत निभाना आखिर किसे नहीं आया? बताना मुझे नहीं आया, तो जताना उसे नहीं आया।
यूँ तो बिछाए हर तरफ जाल ही जाल थे मोहब्बत के फसाना मुझे नहीं आया तो छुडाना उसे नहीं आया।
चुप्पी में भी जज्बातों की शिकायत बखूबी हुई लेकिन सताना मुझे नहीं आया तो मनाना उसे नहीं आया।
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