अनगिनत इच्छाएं दबी है मेरे भीतर कुरेदना मेरा मन,हल्के से, सहलाकर प्रेम से, मिलेंगे तुम्हें वहाँ एक घर,गाँव, पनघट पर खेलते बच्चे कुछ पुस्तकें और एक डायरी डायरी के हर पन्ने पर तुम्हारा नाम लिखा है, तुम्हें कहि नहीं मिलेगा ईश्वर उनमे, मेरी हर इच्छा का आरम्भ, मध्य और अंत तुम हो केवल तुम। #अनगिनत इच्छाएं