त्रासदी की एक लहर ने कई ज़िंदगियाँ उजाड़ दी, नन्हे-नन्हे मासूम हाथों की सब लकीरें बिगाड़ दी। मिट्टी से खेलने की उम्र में सब मिट्टी में मिल गया, देखते ही देखते, फूल सी ज़िन्दगी बना पहाड़ दी। क़ुसूर किसका-क्या, ये उन्हें कैसे समझ आएगा, कभी भूकंप, कभी सुनामी, कभी युद्ध-बाढ़ दी। बसने से पहले ही आशियाना टूटकर बिखर गया, नन्हे गुल को नसीब ने, कैसी यह याद-कबाड़ दी! पलने की इस उम्र में अपनों को पालना पड़ रहा, ईश्वर ने भी जाने कहाँ पे ख़ुशियाँ इनकी गाड़ दी। Rest Zone 'तस्वीर विश्लेषण' #restzone #rztask312 #rzलेखकसमूह #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #rzhindi #pain #feelings