जिन लोगों की जिंदगी में बैठे-बैठे खाने की आदत होती है, वह अपनी जिंदगी में कभी भी कुछ भी नहीं कर सकते हैं। वो कहीं पर भी रहें उनके रहने ना रहने से कोई फर्क नहीं पड़ता है, फिर यही कहना पड़ता है कि जैसे कन्ता घर रहे वैसे रहे परदेस। ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_156 👉 जैसे कन्ता घर रहे, वैसे रहे परदेश लोकोक्ति का अर्थ --- निकम्मा आदमी घर में हो या बाहर कोई अन्तर नहीं। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ दो लेखकों की रचनाएँ फ़ीचर होंगी।