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चला ही नहीं जाता ज़िंदगी तेरे उसूलों पर खामियाँ हम

चला ही नहीं जाता ज़िंदगी तेरे उसूलों पर 
खामियाँ हममे बहुत हैं या तेरे रसूलों पर 

साँचा एक बना इंसानी मुकद्दर का खेल है 
कोई चलता है फूल पर तो कोई बबूलों पर 

दौलत की मुट्ठी में इस कदर कैद है दुनिया 
एक अंगुली न उठी गैर कानूनी दलीलों पर 

कोई औकात ही नहीं तू जीत पाये उससे 
एक समंदर ही भारी है सैकड़ों झीलों पर 

उन राहों में फूलों की उम्मीद न रखा कर 
वो फर्ज की राह हैं तू चलाकर कीलों पर 

ए मुसाफिर चल कि तेरे हौसलों के लिए 
पत्थर तो मिलेंगे जगह जगह मीलों पर

©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #ज़िंदगी के उसूल
चला ही नहीं जाता ज़िंदगी तेरे उसूलों पर 
खामियाँ हममे बहुत हैं या तेरे रसूलों पर 

साँचा एक बना इंसानी मुकद्दर का खेल है 
कोई चलता है फूल पर तो कोई बबूलों पर 

दौलत की मुट्ठी में इस कदर कैद है दुनिया 
एक अंगुली न उठी गैर कानूनी दलीलों पर 

कोई औकात ही नहीं तू जीत पाये उससे 
एक समंदर ही भारी है सैकड़ों झीलों पर 

उन राहों में फूलों की उम्मीद न रखा कर 
वो फर्ज की राह हैं तू चलाकर कीलों पर 

ए मुसाफिर चल कि तेरे हौसलों के लिए 
पत्थर तो मिलेंगे जगह जगह मीलों पर

©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #ज़िंदगी के उसूल