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उस बेलगाम दरिया ए हसरत के रुख़ को मोड़ना पड़ता है


उस बेलगाम दरिया ए हसरत के रुख़ को मोड़ना पड़ता है, 
संभालना काफ़ी नहीं, ख़ुद अपने दिल को तोड़ना पड़ता है, 
ख़्वाब ए फ़लक हो तो तसव्वुर से निकल और जान ले... 
उड़ने के लिए पहले महफ़ूज़ ज़मीनों को छोड़ना पड़ता है! 



(ख़्वाब ए फ़लक़ - आसमां के सपने) 
(तसव्वुर - कल्पना)

©Shubhro K
  #12May2022

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